माँ बगलामुखी हवन-पूजा
माँ बगलामुखी लक्ष्मी पूजा महत्व
धन धान्य की देवी माता लक्ष्मी को आज के दौर में हर कोई सबसे पहले प्रसन्न कर आशीर्वाद पाना चाहता है। कारण भी साफ है कि वर्तमान में धन की संसार में जो स्थिति है वह अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। जीवन यापन तो क्या अब तो सम्मान भी व्यक्ति के धन को देखकर ही किया जाता है। और यह स्थिति केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है, तभी तो आज के दौर में जिस देश की जैसी अर्थव्यवस्था होती है, उसे उतना ही शक्तिशाली माना जाता है।


माँ बगलामुखी विद्वेषण पूजा महत्व
तंत्र मंत्र के 6 कर्म में एक और जहाँ सम्ममोहन का कार्य दो लोगो के बीच आकर्षक पैदा करना है वही विद्वेषण तंत्र प्रियोग दो आकर्षित लोगो के बीच द्वेष पैदा करता है। आपने देखा होगा की दो लोगो के बीच अचानक ही सब अच्छा चलते चलते ही बुरा होने लगता है। तंत्र के जरिये दो लोगो के मस्तिष्क पर द्वेष का प्रभाव डालना ताकि उनके बिच फुट पड़ जाए, ऐसा अक्सर वे लोग करते है जिन्हें दुसरो की ख़ुशी बर्दास्त नही होती है या फिर वो उन दोनो में से किसी एक को हासिल करना चाहते है
पुराने समय में most powreful videshn maha mantra का प्रियोग सिर्फ किसी को बुरी संगत से बहार लाने बुरे लोग से दूर करने के लिए किया जाता था लेकीन आज इसका प्रियोग हंसती खेलती जिंदगी को बर्बाद करने में किया जाता है।
माँ बगलामुखी हवन महत्व
बगलामुखी हवन देवी बगलामुखी को समर्पित एक अनुष्ठानिक समारोह है,
इसमें सुरक्षा, जीत और बाधाओं पर काबू पाने के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए आहुति देना और पवित्र मंत्रों का पाठ करना शामिल है।
यह हवन एक आध्यात्मिक अभ्यास है जिसका उद्देश्य आंतरिक शक्ति और आत्म-नियंत्रण प्राप्त करना है।

माँ बगलामुखी तंत्र पूजा महत्व
माँ बगलामुखी तंत्र मंत्र और प्रभाव शक्ति को विस्तार से जानने से पहले हमें तंत्र को जानना बहुत जरूरी है। शास्त्रों में तंत्र शब्द का इस्तेमाल कई बार किया गया है। तंत्र का अर्थ है व्यवस्थित और सुनियोजित ढंग से किया गया कार्य। तंत्र विद्या द्वारा नामुमकिन कार्य को भी मुमकिन किया जा सकता है। माँ बगलामुखी महाविद्या के तीन प्रमुख उपासक थे। सबसे पहले सृष्टिकर्ता ब्रह्मा, दूसरे जगत के पालन करता भगवान विष्णु और तीसरे भगवान परशुराम। इनके अलावा सनक, नंदन, सनातन, सनत कुमार, देवर्षि नारद, सांख्यायन, परमहंस द्रोणाचार्य, युधिष्ठिर, राजा नल, लंकापति रावण, विश्वामित्र आदि भी माँ बगलामुखी के विशेष उपासक थे।
कालांतर में स्वामी शिव हरि बाबा स्वामी, विशुद्धानंद, श्री स्वामी जी महाराज आदि ने माँ बगुलामुखी और धूमावती तंत्र को सिद्ध करके भक्तो का कल्याण करने के लिए बहुत सारे कार्य किए। शास्त्रों में बताया गया है की माँ बगलामुखी तंत्र की शक्ति के द्वारा विधाता द्वारा निर्मित कार्य को भी बदला जा सकता है। तंत्र प्रकृति और ब्रह्मांड से तादात्म्य स्थापित करने का एक बहुत उत्तम तरीका है।
माँ बगलामुखी अनुष्ठान पूजा महत्व
दस महाविद्याओं में से अष्टम महाविद्या माँ बगलामुखी को माना गया है। शास्त्रों अनुसार माँ बगलामुखी को पीतांबरा, बगला, ब्रह्मास्त्र विद्या के नामों से भी जाना जाता है। मनुष्यों को जीवन की सभी प्रकार की बाधाओं और पापों से मुक्ति दिलाने वाली माँ बगलामुखी की पूजा दिन एवं मध्य रात्रि में की जाती है एवं पूजा में पीले रंग की सामग्री होने से पूजन का शुभ फल निश्चित रूप से मिलता है। मान्यता है कि माँ बगलामुखी पूजन मनुष्य को तमाम तरह की समस्याएं और शत्रु से जुड़ी हर बाधाओं से मुक्ति दिलाने में कारगर है।
इनकी कृपा मात्र से भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त होने के साथ ही, उसे कोर्ट-कचहरी के सभी वाद-विवाद में भी सफलता मिलती है। इतना ही नहीं इस पूजन से राजनीती या राजनेता में या उससे जुड़े किसी भी कार्य में व्यक्ति के आगे बढ़ने के मार्ग भी माँ उजागर करने का कार्य करती है। इस पूजा का समय शुभ मुहूर्त देखकर तय किया जाता है वैसे तो मुहूर्त देखने की आवश्यकता नही है क्यों कि माँ बगलामुखी स्वयं सिद्ध है और 7 ब्राह्मणो या पुरोहित के माध्यम से माँ बगलामुखी का अनुष्ठान पूजन 7 दिनों में संपन्न किया जाता है।
बगलामुखी अनुष्ठान के विशेष फल:
संतान सुख की प्राप्ति होती है। रोगों से निवारण मिलता है। विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है। धन, संपत्ति और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है। राजनीतिक छेत्र में विजय श्री प्रदान करती है
माँ बगलामुखी अनुष्ठान:
माँ बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और यह सभी आंतरिक और बाह्य शत्रुओं जैसे कि क्रोध, लोभ, मोह आदि को हराने में मदद करता है। हम सभी नियमों और अनुष्ठानों का पालन करके इस अनुष्ठान को करते हैं। माना जाता है कि देवी बगलामुखी के पास परम शक्तियां हैं जो सभी समस्याओं और पापों को दूर करती हैं और भक्तों के जीवन में विजय और वीरता सुनिश्चित करती हैं। इस अनुष्ठान में अज्ञानता को ज्ञान में बदलने की शक्तियां हैं, सभी आंतरिक और बाहरी शत्रुओं को हराने के लिए व्यक्ति अपनी छिपी हुई शक्तियों की खोज करने में सक्षम है जो उसे जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
माँ बगलामुखी सम्मोहन तंत्र पूजा महत्व
सम्मोहन के प्रकार :
वैसे सम्मोहन के कई प्रकार हैं, लेकिन मुख्यत: 5 प्रकार माने गए हैं-
1. आत्म सम्मोहन
2. पर सम्मोहन
3. समूह सम्मोहन
4. प्राणी सम्मोहन
5. परामनोविज्ञान सम्मोहन।
आत्म सम्मोहन : वास्तव में सभी प्रकार के सम्मोहनों का मूल आत्म सम्मोहन ही है। इसमें व्यक्ति खुद को सुझाव या निर्देश देकर तन और मन में मनोवांछित प्रभाव डालता है।
पर सम्मोहन : पर सम्मोहन का अर्थ है दूसरे को सम्मोहित करना। इसमें सम्मोहनकर्ता दूसरे व्यक्ति को सम्मोहित कर उसके मनोविकारों को दूर कर उसके व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक निर्देश दे सकता है या उसके माध्यम से लोगों को चमत्कार भी दिखा सकता है।
समूह सम्मोहन : किसी भीड़ या समूह को सम्मोहित करना ही समूह सम्मोहन है। माना जाता है कि यह सम्मोहन करना आसान है, क्योंकि व्यक्ति एक-दूसरे का अनुसरण करने में माहिर है। इसमें सम्मोहनकर्ता पूरी सभा या किसी निश्चित समूह को एक साथ सम्मोहित करने की क्षमता रखता है।
प्राणी सम्मोहन : पशु और पक्षियों को सम्मोहित करना ही प्राणी सम्मोहन कहलाता है। अक्सर सर्कस में रिंगमास्टर प्राणी सम्मोहन करते हैं। इसके लिए वे तीव्र विद्युत प्रकाश, बहुत शोर-शराबे, मनुष्यों की भीड़, चोट पहुंचाकर, मृत्यु होने आदि के भयों की कृत्रिम रचना करके किसी भी प्राणी या पशु-पक्षी की आंखों में आंखें डालकर देखते हैं तो वह सम्मोहित हो जाता है, हालांकि यह थोड़ा मुश्किल जरूर है।
परामनोविज्ञान सम्मोहन : परामनोविज्ञान का विषय बहुत ही विस्तृत है लेकिन इसकी शुरुआत सम्मोहन से ही होती है। इसके अंतर्गत किसी दूर बैठे व्यक्ति या समूह को सम्मोहित करना, अपने पूर्व जन्म के बारे में जानकारी पाना, सम्मोहित अवस्था में किसी की खोई हुई वस्तु का पता लगाना, आत्माओं से संपर्क करना, भूत, भविष्य और वर्तमान में घटने वाली घटनाओं को जान लेना आदि कार्य शामिल हैं।
इसमें व्यक्ति सम्मोहन की इतनी गहरी अवस्था में जाकर पूर्णत: ईथर माध्यम से जुड़ जाता है। यह अवस्था किसी योगी या सिद्धपुरुष से कम नहीं होती।
माँ बगलामुखी वशीकरण पूजा महत्व
वशीकरण तंत्र का नाम हर व्यक्ति ने सुना होगा, लेकिन इसका क्या मतलब होता है, इसका प्रभाव कैसा होता है, और आप किस तरह किसी को वश में कर सकते हैं आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं। बहुत सी पत्नी ऐसी होती है जो चाहती है की उनका पति उनके कहे अनुसार काम करे, और कुछ पति भी ऐसा ही चाहते है, केवल पति पत्नी ही नहीं बल्कि बहुत से ऐसे लोग होते है जो चाहते हैं की जिन लोगो से वो चाहते हैं उन्हें वह अपनी इच्छानुसार काम करवा सकें। और यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार काम करवाने लग जाता है, और जैसा चाहता है वो वैसा ही करता है तो इसे सम्मोहन कहा जाता है जिसे आप वशीकरण भी कह सकते है।
और वशीकरण का प्रभाव ऐसा होता है की यदि आप किसी व्यक्ति को वश में कर लेते हैं तो फिर आप उससे अच्छा काम करवाएं या बुरा उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है बस वह आपकी इच्छा के अनुसार ही काम करता है।
यह एक तरह की विद्या या जादू ही होता है जिससे आप किसी को अपने काबू में कर सकते है, खासकर व्यक्ति के दिमाग को। क्योंकि यदि आप किसी को वश में कर लेते हैं तो ऐसा करने से वह व्यक्ति आपके अनुसार ही सोचने समझने लग जाता है। और वह आप के वशीभूत हो जाता है।
इस पूजन इस्तेमाल अपनी समस्याओं का हल करने के लिए ही करना चाहिए।
माँ बगलामुखी उच्चाटन पूजा महत्व
यह तांत्रिक षट्कर्म प्रयोग से संभव हो पाता है इसके द्वारा किसी भी व्यक्ति के मन में कार्य के प्रति विरोधी भावना रखने वाले के गुणस्थान आदि के प्रति अरुचि पैदा कर दी जाती है जिससे शत्रु से विकर्षण और कार्य के प्रति आकर्षण बन जाता है उच्चाटन का यह प्रयोग उनके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होता है जो किसी के वशीभूत हो चुके हैं होते हैं अपने कार्मपथ से भटक जाते हैं गलत संगत में पड़ जाते हैं बुरी आदतों के शिकार हो जाते हैं या फिर किसी के वर्कावे मैं आकर संस्कार वह सम्मान भूल जाते हैं साथ ही पति पत्नी के बीच किसी तीसरे के आ जाने से आपसी संबंध बिगड़ने पारिवारिक मान मर्यादा कलंकित होने प्रतिष्ठा पर आज आने रुपैया पैसा या धन संपति के अपव्यय या अनावश्यक खर्च होने जैसी समस्याओं को भी इससे दूर किया जा सकता है।
जन्म कुंडली के अनुसार ग्रहों के प्रतिकूल से घरेलू पारिवारिक कामकाजी आर्थिक मामलों को लेकर चली आ रही मानसिक अशांति को उच्चाटन प्रयोग से खत्म किया जाता है पर स्त्री या पर पुरुष गमन मैं लिफ्ट व्यक्ति को सही रास्ते पर लाने का यह प्रयोग अद्भुत और अचूक असर देता है इसके द्वारा दरिद्रता दूर करने के साथ साथ किसी द्वारा धन संपदा पर कब्जा करने वालों से छुटकारा दिलवाया जा सकता है तो दरिद्रता और अशांति को भी दूर किया जा सकता है इसी तरह परिवार वह समाज के रीति-रिवाजों के विरुद्ध जाकर बेमेल अनैतिक या अनुचित प्रेमपाश मैं फसी किसी विवाहित या कुंवारी स्त्री को उच्चाटन प्रयोग से ही सही मार्ग पर लाया या उसे बचाया जा सकता है इसी प्रयोग के बाद उस स्त्री के मन में वैसे प्रेम से हमेशा के लिए विरक्ति हो जाएगी।
माँ बगलामुखी शत्रु नाशक पूजा महत्व
जिसका अर्थ है शत्रुओं का नाश करने के लिए देवी बगलामुखी को समर्पित पूजा , हिंदू धर्म में एक ऐसी प्रथा है जिसका उद्देश्य शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना, खुद को नुकसान से बचाना और विजय प्राप्त करना है। पूजा में अक्सर विशिष्ट मंत्रों का जाप करना, पीले प्रसाद के साथ अनुष्ठान करना और देवी बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त करना शामिल होता है।
बगलामुखी शत्रुनाशक पूजा के मुख्य पहलू:
उद्देश्य:
यह पूजा बाधाओं पर विजय पाने, शत्रुओं को परास्त करने तथा कानूनी लड़ाई और विवादों सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए की जाती है।
देवी बगलामुखी:
उन्हें आठवीं महाविद्या माना जाता है, जो बुराई को खत्म करने और विजय दिलाने की शक्ति के लिए जानी जाती हैं।
रिवाज:
इस पूजा में विशिष्ट मंत्रों का जाप करना, हल्दी से रंगी बत्ती से दीपक जलाना, हल्दी जैसे पीले प्रसाद का उपयोग करना और देवी से प्रार्थना करना शामिल है।
प्रसाद:
देवी को पीले रंग की वस्तुएं, जैसे हल्दी, पीले फल और पीला नैवेद्य (प्रसाद) चढ़ाया जाता है।
फ़ायदे:
भक्तों का मानना है कि इस पूजा से उन्हें शत्रुओं पर विजय पाने, नुकसान से बचाने और विवादों को सुलझाने में मदद मिलती है।
बगलामुखी शत्रुनाशक पूजा कैसे करें:
शुद्धिकरण: अपने शरीर को शुद्ध करते हुए स्वच्छ और सकारात्मक मानसिकता के साथ शुरुआत करें।
उपयुक्त स्थान खोजें: पूर्व दिशा वाला स्थान चुनें, जहां आप निर्विघ्न रह सकें।
दीपक जलाएं: गाय के घी और हल्दी से रंगी बाती से दीपक जलाएं।
प्रसाद: वेदी पर ताजे फूल और फल रखें।
मंत्र जाप: बगलामुखी मंत्रों का जाप करें, जो ऑनलाइन या धार्मिक ग्रंथों में पाए जा सकते हैं।
अर्पण और प्रार्थनाएँ: देवी से प्रार्थना करें, अपनी इच्छाएं व्यक्त करें और उनका आशीर्वाद मांगें।
प्रसाद: पूजा के बाद परिवार और मित्रों के बीच प्रसाद (पवित्र भोजन) वितरित करें।
नोट: यह जानकारी सामान्य ज्ञान के लिए है और यह पेशेवर सलाह नहीं है। पूजा को सही तरीके से करने के लिए किसी जानकार पंडित या पुजारी से सलाह लेना उचित है।
माँ बगलामुखी आकर्षण पूजा महत्व
जब हम किसी वस्तु या व्यक्ति को पसंद करते हैं और हम उसे पाना चाहते हैं, लेकिन मात्र उसके रंग, रूप, अच्छी स्थिति को देख के, तो वो आकर्षण है यह आकर्षण विश्वास का होना है कि सकारात्मक या नकारात्मक विचार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक या नकारात्मक अनुभव को लेके आता है। यह विश्वास उन विचार पर आधारित है जो कि लोग और उनके विचार दोनों ही शुद्ध ऊर्जा से बने हैं, और यह कि ऊर्जा की तरह आकर्षित करने की प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्ति अपने स्वास्थ्य, धन और व्यक्तिगत संबंधों में सुधार करने में सक्षम है।
आकर्षण के नियम का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता है और इसे छद्म विज्ञान के रूप में जाना जाता है। कई शोधकर्ताओं ने अपने समर्थकों की सहायता से वैज्ञानिक अवधारणाओं के दुरुपयोग की आलोचना भी की है। आकर्षण का सिद्धांत समझना बहुत आसान नहीं है क्यूंकि इसके कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, ये एक रहस्य की तरह हमारे जीवन का हिस्सा है. इसे समझना कठिन होता है और जब जिस किसी भी व्यक्ति ने इस सिद्धांत को समझ लिया, वो विश्व का महान पुरुष बन गया
आपने अक्सर पाया होगा कि हम किसी न किसी चीज के विषय में बहुत अधिक सोचते हैं या उससे जुड़े कार्य करना बहुत पसंद करते हैं तब इन चीजों के लिए हमे एक चुम्बकीय शक्ति उस चीज या कार्य की ओर मोहित करती है, इन्हे ही हम आकर्षण का सिद्धांत कहते हैं. आकर्षण के सिद्धांत के अनुसार, यदि हम कुछ बुरा करते हैं या सोचते हैं तो हमारे साथ भी आगे बुरा ही होने की संभावना होती है और यदि हम अच्छा सोचते या करते हैं तो आगे हमारे साथ भी अच्छा होने की संभावना होती है।
कोर्ट कचहरी मामलों में जीत के लिए माॅं। बगलामुखी पूजा महत्व
सही विधि और प्रक्रिया द्वारा देवी माँ बगलामुखी की पूजा करने से लोगों को काफी परेशान करने वाले अदालती मामलों या कानूनी समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। कोर्ट और कानूनी मामले लोगों को वित्तीय संकट में डालते हैं, जिससे तनाव और चिंता, शत्रुता और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। यदि ऐसे मुद्दे अधिक समय तक चलते हैं, तो प्रभावितों व्यक्ति का जीवन नरक जैसा हो जाता है।
Court Case Problems
लोग अदालत या कानूनी मामलों का सामना क्यों करते हैं?
अक्सर, लोग कुंडली में ग्रहों के प्रभाव या स्थिति के कारण अदालत या कानूनी समस्याओं में घिर जाते हैं। जब अदालत या कानूनी कार्यवाही प्रभावित व्यक्ति के खिलाफ जाने लगती है तो हालात बिगड़ जाते हैं। इस विशिष्ट स्थिति में, शत्रु पर विजय पाने के लिए माॅं बगलामुखी पूजा या बगलामुखी अनुष्ठान अत्यंत सहायक मने जाते है।
माॅं बगलामुखी की पूजा कैसे अदालती और कानूनी मामलों में जीतने में सहायक है?
माॅं बगलामुखी पूजा या अनुष्ठान का मुख्य महत्व एक उपासक को अच्छे संचार कौशल, प्रचुर धन और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देने में है। एक सच्चा उपासक का शत्रु नष्ट हो जाता है, उसकी दुर्बलता समाप्त हो जाती है और वह सभी प्रकार के कानूनी मुकदमों और यहाँ तक कि जेल से मुक्त हो जाता है। भगवती माॅं बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से राजनीतिक लाभ और जीत में सहायक होती है।
माॅं बगलामुखी पूजा के निम्नलिखित लाभ आपको कोर्ट-कचहरी मामलों में जीत प्नेराप्त करने में सहायता करते हैं:
देवी माॅं बगलामुखी की पूजा करने से व्यक्ति के पक्ष में कोर्ट केस जीतने की संभावना बढ़ जाती है।
देवी आपको सालों से लंबित कोर्ट-कचहरी के विवादों पर विजय दिलाती हैं।
अदालती मामलों में, प्रभावित व्यक्ति को मजबूत दुश्मन पर भी जीत का आशीर्वाद मिलता है।
माँ बगलामुखी पूजा या अनुष्ठान या पूजा सभी प्रकार के कानूनी मुद्दों और बाधाओं से राहत प्रदान करती है।
दुश्मनों और विरोधियों द्वारा किए गए तांत्रिक कार्यों के नकारात्मक प्रभाव पूरी तरह से हटा दिए जाते हैं।
प्रभावितों के परिवार और घर को दुश्मनों से सुरक्षा मिलती है।
अदालतों में जीतने के लिए किसे देवी बगलामुखी की पूजा या माँ बगलामुखी अनुष्ठान करना चाहिए?
अदालती कार्यवाही, झूठे कानूनी मामलों, मुकदमों, दुश्मनी, वर्षों से परिवार-संकट में संघर्ष कर रहे व्यक्ति को एक विशेषज्ञ गुरु के मार्गदर्शन में माँ बगलामुखी पूजा या अनुष्ठान पूर्ण प्रक्रियाओं के साथ करना चाहिए।
शत्रु पर विजय के लिए माँ बगलामुखी पूजा करने की क्या प्रक्रिया है?
माँ बगलामुखी पूजा हमेशा अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में ही की जानी चाहिए जिन्होंने माँ बगलामुखी अनुष्ठानों का सफलतापूर्वक अभ्यास किया हो। माँ भगवती बगलामुखी पीताम्बरा का आह्वान करने वाले उपासक को कौल या अघोरी साधक (भैरव) द्वारा दीक्षा लेने की आवश्यकता होती है। अनुभवी गुरु के बिना शत्रु उपासक को चौर-अस्त्र, कालरात्रि, अघोर सुदर्शन-अस्त्र या पक्षिराज-अस्त्र, प्रयात्रांग, आदि अस्त्रों से भारी नुकसान पहुंचा सकता है, माँ बगलामुखी एक स्थंबन अस्त्र है और गलती की स्थिति में, उपासक खुद को स्थाम्बित कर सकता है। । मृत्यु, बीमारी, दुर्घटना और दुर्भाग्य संभव है अगर देवी बगलामुखी का अहवान बिना किसी दीक्षा के किया जाता है। इसके अलावा, किसी को मृत्यु के बाद भयानक ब्रह्मराक्षस के रूप में भटकना भी पड़ सकता है। यदि अनुचित तरीके या गलती के कारण अनुष्ठान में कोई त्रुटि होती है तो कुल और वंश भी नष्ट जो जाता है। यदि गुरु एक वास्तविक साधक है, तो वह पूजा करने वालों को सभी प्रकार के दुश्मनों से बचाने में सक्षम है।
चुनाव में विजय के लिए माँ बगलामुखी पूजा महत्व
।।ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ।।
चुनाव में जीत के लिए माँ बगलामुखी पूजा और अनुष्ठान
माँ बगलामुखी पूजा उन राजनेताओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो चुनाव में जीत हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं। माँ बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं के नाश और उनके उपासकों को विजय का आशीर्वाद मिलता है। एक मान्यता के अनुसार, दशमविद्या में माता बगलामुखी आठवीं महाविद्या हैं। शत्रु पर विजय के लिए उसकी पूजा की जाती है। राजनेताओं के विपक्षी दल से कई विरोधों होतें हैं। इसके अलावा, देवी अपने उपासकों को उच्च संचार कौशल और बहस को उनके पक्ष में लाने का आशीर्वाद देती हैं। ये दो बहुप्रतीक्षित गुण हर राजनेता के राजनीति में उज्ज्वल भविष्य के लिए अति अवश्य हैं।
राजनेताओं को अपने राजनीतिक जीवन में असफलता का सामना क्यों करना पड़ता है?
एक सफल राजनीतिज्ञ को सबसे पहले एक अच्वछा वक्ता होने की आवश्यकता है। उसकी वाक्पटुता लोगों के भीड़ को उसकी और आकर्षित करती है। सफल राजनीतिज्ञों को पता होता है कि उन्हें क्या और कब बोलना है; अपने शब्दों को सही चयन से भीड़ को अपने राजनीतिक लक्ष्य पाने में सहायता करने को राजी करने की आवस्यकता होती हैं। उन्हें एक शतरंज के खिलाड़ी की तरह अपने प्रतिद्वंद्वियों की चाल को समझने में भी महारत हासिल करने की जरूरत है। कुछ लोग इन गुणों के साथ पैदा होते हैं और जब वे राजनीति में प्रवेश करते हैं, तो वे इस क्षेत्र में एक सफल व्यक्ति के रूप में उभरते हैं, लेकिन हमनें कई ऐसे लोगों को इस क्षेत्र में प्रवेश करते हुए देखते हैं जो भारी वित्तीय नुकसान के साथ असफल होते हैं।
बगलामुखी की पूजा कैसे राजनीति में अच्छा करियर बनाने में सहायक है?
महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने पांडवों को देवी माँ बगलामुखी की पूजा करने की सलाह दी थी। इस अवधि के दौरान, सम्राट युधिष्टर ने लक्ष्मणा नदी के तट पर देवी की पूजा की, जिसे अब लखुंदर नदी के नाम से जाना जाता है। पांडवों ने बगलामुखी अनुष्ठान के बाद ही कौरवों पर विजय प्राप्त की। आधुनिक समय की राजनीति भी महाभारत की तरह है; यहां भी हमारे पास पांडव और कौरव के रूप में राजनेता हैं। देवी बगलामुखी की पूजा करने से राजनेता अपने प्रतिद्वंद्वियों को दूर करने में सक्षम होते हैं और विरोधियों का जीवन पूरी तरह से बेकार हो जाता है। वे अपने दुश्मन की हर चाल को समझने और उन्हें जवाब देने के लिए खुद को तैयार करने में सक्षम हो जाते हैं।
बगलामुखी पूजा के निम्नलिखित लाभो से राजनेताओं को उनके कैरियर में मदद मिलती है:
बगलामुखी देवी जातक को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिलाने में मदद कर सकती हैं।
देवी की पूजा करने से चुनावी प्रतिद्वंद्वी को हराना संभव हो जाता है।
चुनाव संबंधी बहस में निश्चित सफलता
भगवती अपने उपासक को उत्कृष्ट भाषण गुणवत्ता और संचार कौशल का आशीर्वाद देती हैं।
किसे अपने राजनैतिक करियर के लिए देवी बगलामुखी की पूजा करनी चाहिए या बगलामुखी का अनुष्ठान करना चाहिए।
जो राजनेता चुनाव लड़ने या मजबूत प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए टिकट पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उनके लिए देवी भगवती बगलामुखी पीताम्बरा की आराधना करना अत्यधिक लाभदायक है।
चुनाव लड़ने के लिए बगलामुखी पूजा करने की क्या प्रक्रिया है?
बगलामुखी पूजा हमेशा अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में ही की जानी चाहिए जिन्होंने बगलामुखी अनुष्ठानों का सफलतापूर्वक अभ्यास किया हो। माँ भगवती बगलामुखी पीताम्बरा का आह्वान करने वाले उपासक को कौल या अघोरी साधक (भैरव) द्वारा दीक्षा लेने की आवश्यकता होती है। अनुभवी गुरु के बिना शत्रु उपासक को चौर-अस्त्र, कालरात्रि, अघोर सुदर्शन-अस्त्र या पक्षिराज-अस्त्र, प्रयात्रांग, आदि अस्त्रों से भारी नुकसान पहुंचा सकता है, बगलामुखी एक स्थंबन अस्त्र है और गलती की स्थिति में, उपासक खुद को स्थाम्बित कर सकता है। । मृत्यु, बीमारी, दुर्घटना और दुर्भाग्य संभव है अगर देवी बगलामुखी का अहवान बिना किसी दीक्षा के किया जाता है। इसके अलावा, किसी को मृत्यु के बाद भयानक ब्रह्मराक्षस के रूप में भटकना भी पड़ सकता है। यदि अनुचित तरीके या गलती के कारण अनुष्ठान में कोई त्रुटि होती है तो कुल और वंश भी नष्ट जो जाता है। यदि गुरु एक वास्तविक साधक है, तो वह पूजा करने वालों को सभी प्रकार के दुश्मनों से बचाने में सक्षम है।
माँ बगलामुखी की सर्व कार्य सिद्धि पूजा महत्व
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय। जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।। मंत्र का जाप कर सकते हैं. यह मंत्र सभी मनवांछित कामनाओं को पूरा करने और शत्रु से मुक्ति दिलाने में सहायक है. पूजा के लिए पीला रंग, हल्दी की माला और पीले फूल का उपयोग करें.
बगलामुखी सर्व कार्य सिद्धि पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:
पीला आसन: बगलामुखी को पीले आसन पर बिठाएं.
पीले वस्त्र: पीले रंग के कपड़े पहनें.
पीले फूल, चंदन, और वस्त्र: मां बगलामुखी को चढ़ाएं.
धूप, दीप, और अगरबत्ती: मां के सामने जलाएं.
हल्दी की माला: मंत्र का जाप करने के लिए उपयोग करें.
गाय का शुद्ध घी: हवन के लिए उपयोग करें.
समिधाएं (आम, पलाश, गुलर आदि): हवन में उपयोग करें.
पूजा विधि:
1. स्नान: सुबह स्नान करने के बाद पीले रंग के कपड़े पहनें.
2. आसन: पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पूजा करें.
3. मंत्र जाप: 40 दिनों तक 108 बार सुबह शाम मंत्र का जाप करें.
4. हवन: जप पूरा होने के बाद गाय के शुद्ध घी से 251 बार हवन करें.
5. श्रद्धा: मंत्र जाप पूर्ण श्रद्धा से करें.
अतिरिक्त सुझाव:
यदि कोई शत्रु परेशान कर रहा है, तो मंत्र में शत्रु का नाम लेते हुए जाप करें.
मंत्र जाप के बाद माँ बगलामुखी का विधिवत पूजन करें.
हवन में आम, पलाश, गुलर आदि का समिधाओं का उपयोग करें.
आप बगलामुखी यंत्र को भी पूजा स्थल पर रख सकते हैं, जो उत्तर पूर्व, पूर्व या उत्तर दिशा में कैश बॉक्स, अलमारी या पूजाघर/पूजा स्थल में रखा जा सकता है.
महामृत्युंजय अनुष्ठान पूजन महत्व
महामृत्युंजय पूजन का बहुत महत्व है इसे भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। यह पूजा अकाल मृत्यु से बचाता है, रोगों से राहत दिलाता है, और व्यक्ति को सुख, स्वास्थ्य और सौभाग्य का आशीर्वाद देता है.
महामृत्युंजय पूजा के लाभ:
अकाल मृत्यु से बचाव:
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है.
रोगों से मुक्ति: यह कई बीमारियों से राहत देता है और व्यक्ति को निरोगी बनाता है.
सुख, स्वास्थ्य और सौभाग्य: इस पूजा से व्यक्ति को सुख, स्वास्थ्य और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.
मनोकामना की पूर्ति: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
अशुभ प्रभावों का नाश: यह ग्रहों के कुप्रभाव, दोष, और काली शक्तियों के प्रभाव को नष्ट करता है.
आर्थिक समस्याओं से मुक्ति: महामृत्युंजय मंत्र के जाप से धन-दौलत और वैभव प्राप्त होता है.
भय और डर से मुक्ति: यह हर तरह का भय और टेंशन खत्म करता है.
दीर्घायु: महामृत्युंजय मंत्र के जाप से लंबी उम्र मिलती है.
संतान प्राप्ति: महामृत्युंजय मंत्र के जाप से संतान प्राप्ति भी होती है.
महामृत्युंजय पूजा कब करें:
रोगों से पीड़ित होने पर: यदि कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित है, तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए.
अकाल मृत्यु का भय होने पर: यदि किसी को अकाल मृत्यु का भय है, तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए.
ग्रहों के कुप्रभाव से पीड़ित होने पर: यदि किसी को ग्रहों के कुप्रभाव से परेशानी हो रही है, तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए.
अशुभ शक्तियों के प्रभाव से पीड़ित होने पर: यदि किसी को भूत-प्रेत या अन्य किसी अशुभ शक्ति का प्रभाव महसूस हो रहा है, तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए.
आर्थिक समस्याओं से जूझने पर: यदि कोई व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है, तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए.
मानसिक तनाव से मुक्ति पाने पर: यदि कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से पीड़ित है, तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए.
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महामृत्युंजय पूजन विधि:
1. शिवलिंग का पूजन: सबसे पहले शिवलिंग का पूजन करें, जलाभिषेक करें, और अन्य आवश्यक सामग्री अर्पित करें.
2. मंत्र का जाप: शुद्ध आसन पर बैठकर, रुद्राक्ष की माला धारण करके, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
3. हवन: महामृत्युंजय हवन भी किया जा सकता है.
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना एक सरल और प्रभावी तरीका है भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख, स्वास्थ्य और सौभाग्य लाने का
माँ बगलामुखी महा विशेष यंत्रा अर्चन पूजा महत्व
माँ बगलामुखी यंत्रा अर्चन की पूजा अर्चना और इसके महत्व को समझने के लिए, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह यंत्र शत्रुओं, बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है. यह यंत्र व्यक्ति को जीवन में स्थिरता, सफलता और विजय प्रदान करने में मदद करता है.
बगलामुखी यंत्र की पूजा और महत्व:
शत्रुओं का नाश : बगलामुखी यंत्र की पूजा करने से सभी प्रकार के ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं का नाश होता है.
बाधाओं का निवारण : यह यंत्र जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करता है.
नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा : बगलामुखी यंत्र नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है और सकारात्मक वातावरण बनाता है.
सफलता और विजय : यह यंत्र व्यक्ति को सफलता और विजय प्राप्त करने में मदद करता है.
आत्म-विश्वास और शक्ति: बगलामुखी यंत्र का प्रतिदिन दर्शन और पूजन करने से आत्म-विश्वास और शक्ति बढ़ती है.
अज्ञात भय से मुक्ति: यह यंत्र अज्ञात भय और क्लेश से मुक्ति दिलाता है.
आर्थिक सफलता: बगलामुखी यंत्र को घर, पूजा स्थल या व्यापारिक स्थल में स्थापित करने से आर्थिक सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है.
मुकदमे और प्रतियोगिताओं में सफलता : बगलामुखी की पूजा करने से मुकदमों और प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है.
दुष्ट शक्तियों का नाश: यह देवी भक्तों के भय को खत्म करने वाली और दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाली है.
मान्यता: बगलामुखी यंत्र में इतनी दिव्य शक्ति होती है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने का सामर्थ्य रखता है.
पूजा विधि: यंत्र स्थापित करें:
बगलामुखी यंत्र को घर, पूजा स्थल या व्यापारिक स्थल में स्थापित करें.
मंत्र जाप: बगलामुखी मंत्र का जाप करें, जैसे कि “ॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमः!”.
हवन: दशांश हवन करें.
भोग: माता को पीले रंग के फूल और पीला नैवेद्य चढ़ाएं.
सात्विकता: पूजा में सात्विकता बनाए रखें.
प्रार्थना: माता बगलामुखी से शत्रुओं और विरोधियों के शांत होने की प्रार्थना करें.
हल्दी की माला: हल्दी की माला से पूजा और जाप करने से सभी बाधाओं और संकटों का नाश होता है और शत्रु पराजित होते हैं.
नोट: बगलामुखी यंत्र की पूजा करने के लिए किसी अनुभवी ब्राह्मण से सलाह लेना उचित हो सकता है।
माँ बगलामुखी श्री हरिद्रा गणेश पूजा विशेष महत्व
माँ बगलामुखी और श्री हरिद्रा गणेश की पूजा का विशेष महत्व है, खासकर शत्रु बाधाओं, भय और भ्रम से मुक्ति, और वाक् सिद्धि के लिए। श्री हरिद्रा गणेश, बगलामुखी के अंग देवता माने जाते हैं और उनकी पूजा साधक को स्तम्भन शक्ति से युक्त करती है, जिससे शत्रु शांत होते हैं और विघ्न दूर होते हैं.
माँ बगलामुखी और हरिद्रा गणेश पूजा का महत्व:
शत्रु बाधाओं का निवारण: बगलामुखी की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और वे शांत होते हैं.
भय और भ्रम का नाश: बगलामुखी की कृपा से भय और भ्रम दूर होते हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है.
वाक् सिद्धि: बगलामुखी की कृपा से वाक् सिद्धि प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति अपनी वाणी से दूसरों को प्रभावित करने में सक्षम होता है.
विघ्न बाधाओं का निवारण: हरिद्रा गणेश की पूजा से साधक को स्तम्भन शक्ति मिलती है, जिससे शत्रु उत्पन्न विघ्न दूर होते हैं.
अटकले हुए कार्यों में सफलता: हरिद्रा गणेश की साधना अटके हुए कार्यों में सफलता के लिए भी उपयोगी है.
दोषों का निवारण: विशाखा नक्षत्र दोष, मंगल ग्रह दोष, बुधादित्य योग आदि ग्रहों के दोषों को दूर करने में भी हरिद्रा गणेश की पूजा सहायक है.
किसी भी बड़ी महाविद्या की साधना से पहले: किसी भी बड़ी महाविद्या की साधना करने से पहले श्री हरिद्रा गणेश की साधना करना आवश्यक माना जाता है,
माँ बगलामुखी भैरव पुजा महत्व
माँ बगलामुखी और भैरव की पूजा का विशेष महत्व है। माँ बगलामुखी, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं, शत्रुओं को पराजित करने, विघ्न दूर करने और विजय प्राप्त करने के लिए पूजित हैं. भैरव, जो भगवान शिव का उग्र रूप हैं, भय और नकारात्मक शक्तियों को दूर करते हैं, जिससे भक्तों को सुरक्षा और आत्मविश्वास मिलता है.
माँ बगलामुखी की पूजा का महत्व:
शत्रुओं पर विजय: माँ बगलामुखी को शत्रु नाशिनी माना जाता है और उनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
विघ्न दूर करने वाली : वे विघ्न, बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने वाली शक्ति के रूप में पूजित हैं.
मनोकामना पूर्ति: उनकी पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भक्तों को दिव्य सुरक्षा प्राप्त होती है.
शक्ति और सामर्थ्य: बगलामुखी की पूजा से व्यक्ति को शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त होता है, जिससे वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है.
भैरव की पूजा का महत्व:
भय का नाश: भैरव को भय का नाश करने वाला माना जाता है और उनकी पूजा से भय, अनिश्चितता और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है.
सुरक्षा: भैरव भक्तों को सुरक्षा प्रदान करते हैं और उन्हें विपरीत परिस्थितियों से बचाते हैं.
आत्मविश्वास: भैरव की पूजा से भक्तों को आत्मविश्वास और शक्ति मिलती है, जिससे वे जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं.
अध्यात्म और ज्ञान: भैरव की आराधना से चिंता, भ्रम और नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है.
माँ बगलामुखी और भैरव की संयुक्त पूजा:
माँ बगलामुखी और भैरव की संयुक्त पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। यह पूजा शत्रुओं से सुरक्षा, बाधाओं को दूर करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है.
उदाहरण: वैकल्पिक पूजा:
माँ बगलामुखी और भैरव की पूजा के साथ-साथ संकटमोचन हनुमान की पूजा करने से भक्तों को त्रि-ऊर्जा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे वे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं.
नकारात्मकता निवारण : श्री मंदिर जैसे पूजा स्थल पर, माँ बगलामुखी और भैरव की पूजा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और भक्तों के जीवन में शांति लाने में मदद करती है.
अदालती मामलों में सफलता: माँ बगलामुखी और भैरव की संयुक्त पूजा अदालती मामलों में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है, खासकर राहु के प्रभाव से.
माँ बगलामुखी के भक्त की महिमा
माँ के सच्चे भक्त की पुकार
लेखक युसुप अली कुरेशी
अर्थात है पिताम्बरा बगलामुखी आ परम विद्या हो तीनो लोक की जननी हो मुसीबतों का नाश करने वाली हो शत्रु की जिव्हा को किलिल करने वाली त्रिशूल धारणी है। भगवती आप ही हो जब से में आप के मंदिर आकर आप के दर्शन किये तब से मुझे आत्म शक्ति मिल गई है आखो से अंधेरा हट गया है लड़खड़ाते पाँव में खड़े रहने की शक्ति आ गई है। जब ही तो धर्म ग्रंथ कहते है कि आप वर दे शप्रिया वीर भूषण भूषिता हो।
तुम आदिशक्ति हो यह ज्ञान बहुत देर बाद मिला तो शत्रुओ का नाश करने वाली त्रिशूल धारणी हो, तुम्हारे द्वार पर जो भक्त रोते हुए आता ओर हस्ते हुए जाता है बहुत देर से ज्ञात हुआ संसार मे इस लिए कहते है तुम बगलामुखी सर्वेति दुस्टानाम त्वाचमे च मुखं पदम स्तम्येति जिव्हांकीलय बुद्धि मत विनाशये ति तारणच स्थिर स्थिर मायान्ततो वदेत।
तुम कालाछी कालिका काली धवानन सुंदरी हो।
इस लिए विश्व के समस्त तांत्रिक तुम्हारे चरणों में माथा टेक तंत्र प्रयोग करते है में दिन हु, दुखी भयभीत हु,अज्ञानी हु। मंत्र जप आदि के विधान से परिचित नही हु। केवल चरणों मे आराधना के लिए केवल पुष्प लाया हूं। अश्रुओं की धारा लाया हूं। इस अश्रुधारा से कहि तेरे पवित्र चरण भीग नही जाए, इसलिए मंदिर की चोखट पर बेठकर अश्रुधारा बहा रहा हु। मेरे परिवार को संकट से बचा के मेने आचार्यो, संतो एव भक्त्तों से सुना है कि तुम सिद्ध विद्या, सिद्ध माता, सिद्ध सिद्धस्वरूपिणी हो। हरा हरिप्रिया हारा हरिणी हाटयुक तथा हरिरूपा, हरिधार, हरिगाक्षि, हरिप्रिया हेलुप्रिया है तुरता हित हिट स्वरूपणी हो। क्षमा क्षमा क्षिता क्षुद्रघष्टाविमषणा हो। इन्द्रप्रिया च इंद्राणी इन्द्रप्रस्त निवासिनी इन्द्राक्षी इन्द्रव्रजा च इन्द्रम धोक्षणि हो।
अध्वेद एवं द्वैत का ज्ञान मुझे समझ नही आया। निर्गुण सगुण की परिभाषा नही समझ पाया। ज्योतिषियो के बताए गए ग्रह दोषों को समाप्त करने के लिए धन लुटा चुका हूं। मगर लाभ के स्थान हानि उठा रहा हु। संकटों का पहाड़ का स्वरूप बढ़ता ही चला जा रहा है। टोटके तंत्रों से आस्था टूट चुकी है तेरे चरणों को अब पढ़कर सत्य कर रहा हूं मां अब मैं कहीं नहीं भट्ट को तेरे चरण तब तक नहीं छोडूंगा जब तक आप प्रसन्न हो मेरे परिवार को संकटों से मुक्त नहीं करोगी क्योंकि तुम परब्रह्मा स्वरूपा हो तुम श्री श्रींकारा महाविद्या श्रद्धा वती हो आप खाली करा ली कालिया चकला दैत्य विनाशिनी हो मां मुझे अब तो शत्रु से बचा लो पुराण स्मृतियां दर्शन शास्त्र तंत्र शास्त्र आपके गुणगान का 24 घंटे जब करते रहते हैं मैं तो बालक मेरी विनती को स्वीकार लो आर्थिक संकटों से बचा लो शत्रुओं ने चारों तरफ से घेर लिया है आप नहीं तो कौन बचाएगा क्योंकि आप दुर्गा शिवा शांति करी ब्रह्माणी ब्राह्मण प्रिया हो पितांबरा परिधाना पीतगंधनुलेवना मां अब मुझे आशीर्वाद देकर सारे संकटों से मुक्त कर दो यही मेरी प्रार्थना है।
माँ बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा का इतिहास
माँ बगलामुखी मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा नगर में लखुन्दर नदी के के पूर्वी तट पर स्थित है। यह मंदिर पांडव कालीन अति प्राचीन है मंदिर के गर्भ गृह में माता बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमाह के रूप में विराज मान है तथा माता के साथ दाये बाये महालक्ष्मी महा सरस्वती विराज मान है।
यह मंदिर देश विदेश में अति प्रचलित है एवं चमत्कारिक भी है। मंदिर परिसर में भैरव ,हनुमान व पारदेश्वर राधे कृष्ण मंदिर के साथ ऋषि मुनियों की अति प्राचीन जाग्रित समाधिया स्तिथ है जो की मंदिर को अति प्राचीन होने का प्रमाण देती है मंदिर की मान्यता अनुसार माता त्वरित फल दाई है इसीलिये मंदिर में विभिन्न राज्यों से तथा देश विदेशो से भी लोग माता के दर्शन के लिये आते है एवं विशेष कार्य के लिये माता मंदिर में अनुष्ठान एवं हवन पूजन कर माता का आशिर्वाद प्राप्त करते है।
मंदिर के चारो तरफ शमशान है मंदिर श्मशान के मद्य्य में स्तिथ है मान्यता के अनुसार माता तंत्र की अदिशधात्री एवं श्मशान वासनी है इसी लिये माता के दरबार मे अनेकों साधु संत विशेष तंत्र प्रियोग के लिये आते है।
प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख है जिनमें से एक है बगलामुखी । माँ भगवती बगलामुखी है इनका महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। यह मन्दिर उन्हीं में से एक बताया गया है।
मंदिर के बाहर सोलह स्त्म्भों वाला एक सभामंडप है जो आज से लगभग २५२ वर्षों से संवत १८१६ में पंडित ईबुजी दक्षिणी कारीगर श्रीतुलाराम ने बनवाया था। इसी सभामंड़प में एक कछुआ भी स्थित है जो देवी की मूर्ति की ओर मुख करता हुआ है। यहा पुरातन काल से देवी को बलि चढ़ाई जाती थी। मंदिर के सामने लगभग ८० फीट ऊँची एक दीप मालिका बनी हुई है, जिसका निर्माण राजा विक्रमादित्य द्वारा ही करवाया गया था।
मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु एवं विभिन्न क्षेत्रों में विजय प्राप्त करने के लिए यज्ञ, हवन या पूजन-पाठ कराते हैं। मुख्य पुजारी गोपाल दास जी पंडा, मनोहरलाल जी पंडा ने बताया कि बगलामुखी माता तंत्र की देवी हैं, अतः यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। इस मंदिर की मान्यता इसलिए भी अधिक है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जागृत है।
मंदिर में बहुत से वृक्ष हैं, जिनमें बिल्वपत्र, चंपा, सफेद आँकड़ा, आँवला, नीम एवं पीपल के वृक्ष स्थित हैं। इसके नवरात्रि के अवसर पर यहाँ भक्तों का ताँता लगा रहता है। मुख्यपूजारी ने बताया है कि उनका परिवार कई पीढ़ियों से माता की सेवा करते आ रहा है और उन्हें कई बार माता के साक्षात् होने का अनुभव हुआ है मंदिर के पीछे लखुन्दर नदी (जिसका पुराना नाम लक्ष्मणा है) के तट पर संत व मुनियो की कई समाधियाँ जीर्ण अवस्था में स्थित है, जो आज भी इस मंदिर में संत मुनियों का रहने का प्रमाण है।

रिकॉर्डेड पूजा
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पूजा प्रसाद
दिव्य आशीर्वाद, व्यक्तिगत रूप से आपके पते पर भेज दिया जायेगा।